बाबर का इतिहास – Babar History In Hindi

पूरा नाम  जहीर-उद-दिन मुहम्मद बाबर
जन्म      – 14 फरवरी, 1483.
जन्मस्थान अन्दिझान (उज्बेकिस्तान)
पिता      – उमर शेख मिर्जा 2
माता      – Qutlugh Nigar Khanum
विवाह     – आयेशा सुलतान बेगमजैनाब सुलतान बेगममौसमा सुलतान बेगममहम बेगमगुलरुख बेगम, दिलदार अघाबेगममुबारका युरुफझाईसहिला सुलतान बेगमहज्जाह गुलनार अघाचा, नाझगुल अघाचा, बेगा बेगम।
बाबर का इतिहास – Babar History In Hindi
Babar शब्द का अर्थ सिंहहै और वे इतिहास में इसी नाम से प्रसिध्द हैं। बाबर तैमुरलंग और चंगेजखा जैसे बहादुर मंगोल सरदारों के वंशज थे, जिनकी क्रूरता और वीरता के अनेक उदाहरण इतिहास के पृष्ठों में भरे पड़े हैं। परन्तु बाबर अपने इन वंशजों से कुछ भिन्न थे। इनके पूर्वज जहां दिल्ली तक पहुंचे और यहां मारकाट करने के बाद लूट का माल लेकर वापीस चले गये, पर बाबर हिन्दुस्तान के ही होकर रह गये। उन्होंने अपने-आपको विदेशी नहीं माना।
बाबर ने पानीपत की लड़ाई में दिल्ली के लोधी सुल्तान को भारी शिकस्त दी और उसके बाद दिल्ली के राजसिंहासन पर कब्जा करके उसके आस-पास के प्रदेशों को भी जीतकर अपने साम्राज्य का हिस्सा बनाया। इस प्रकार भारत में मृगल सल्तनत की आधारशिला रखी।
भारत में उस समय अनेक छोटे-छोटे राजओं, सामन्तों और जागीरदारों की कमी न थी। बाबर ने बहुत बड़े हिस्से को जीतकर भारत में एकता स्थापित करने का प्रयत्न किया और सम्भवत: बहुत अरसे के बाद यह भारत को एक सुत्र में बांधने का प्रयत्न था।

इस प्रकार वह 1527 तक भारत के बहुत बड़े हिस्से पर अपना अधिकार जमा चूका था। बाबर की विशेषता यह थी कि उन्होंने यहीं का होकर रहने में अपनी भलाई समझी और इस प्रकार मृगल-साम्राज्य की स्थापना के लिए महत्त्वपूर्ण कार्य किया। उसने अपने राज्य की स्थापना के बाद लुट-खसोट के बदले विभिन्न प्रदेशों को संगठित करने का कार्य किया।

बाबर बहुत सुरुचिपूर्ण व्यक्ति थे। उनके प्रभाव से भारत की नष्टप्राय कलाओं का विकास फिर से प्रारंभ हुआ। उन्होंने अपने संस्मरण भी लिखे।

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